(Q) वर्गीकरण समूहों की पदानुक्रमित संरचना
(The Hierarchy of Classification Groups)
प्रजाति (Species) जीवों के वर्गीकरण के पदानुक्रम की सबसे छोटी इकाई
है। एक प्रजाति के जीव आपस में सर्वाधिक समानताएँ प्रदर्शित करते हैं। आपस मेंकुछ समानता प्रदर्शित करने वाली प्रजातियों को उससे बड़ी श्रेणी वाले वंश में
समानता प्रदर्शित करने वाले वंशों (genera) को एक कुल में, समानता दर्शाने
वाले कुलों को एक गण में तथा गणों को वर्ग में रखा जाता है। वर्ग से भी बड़ा
समूह या श्रेणी संघ या फाइलम (phylum) है। फाइलम के स्थान पर पौधों में
डिवीजन (division) शब्द का प्रयोग किया जाता है। अनेक फाइला (phyla)
मिलकर एक जगत (Kingdom) का निर्माण करते हैं।
1.प्रजाति (Species)-प्रजाति को वर्गींकरण की मौलिक इकाई (basic
unit of classification) माना जाता है। आपस में समानता प्रदरशित करने
वाल जवों का समूह, जिसके सदस्य प्राकृतिक रूप से अन्त:प्रजनन
(interbreed) करते हैं तथा समान पूर्वज की संतति होते हैं, एक प्रजाति
बनाते हैं। सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीव इसी समूह
पृथ्वी पर सभी मनुष्य एक ही प्रजाति होमो सैपियन्स (Homo scapiens) के सदस्य हैं।
2.वश (Genus, plural Genera)- समानता प्रदर्शित करने वाली
प्रजातियाँ एक वंश में रखी जाती है;3 जैसे पेन्थेरा (Panthera), शेर, बाघ व लेपर्ड तीनों प्रजातियों का वंश है ।
3.कुल (Family)-आपस में सम्बद्ध वंश एक कुल में वर्गीकृत किए
जाते हैं। फेलिस वंश (Felis genus) बिल्ली का है और पेन्थेरा
(Panthera) शेर और बाघ का। दोनों में समानता होने के कारण इन्हें एक कुल फेलिडी (Felidae) में रखा गया है।
4.गण (Order)- समानता प्रदर्शित करने वाले कुलों से मिलाकर एक गण
बनाया जाता है अर्थात् यह कुल से बड़ी श्रेणी है। बिल्ली कुल फेलिडी
(Felidae) तथा कुत्तों का कुल कैनिडी (Canidae) दोनों को गण कार्नीवोरा (carnivora) में रखा गया है।
5.वर्ग (Class)- समानता दिखाने वाले गणों से बड़ी श्रेणी वर्ग बनती है।
कार्नीवोरा गण, प्राइमेटा गण तथा रोडेन्शिया गण मिलकर स्तनधारी वर्ग (Mammalia class) बनाते हैं।
6.संघ (Phylum)- अनेक वर्गों से संघ का निर्माण होता है। संघों व वर्गों के बारे में आप आगे अध्ययन करेंगे।
7.जगत (Kingdom) - जगत को वर्गीकरण की सबसे बड़ी श्रेणी माना
जाता है। एक जगत में अनेक फाइला सम्मिलित हो सकते हैं। इस समूह में जीवों
की संख्या सबसे अधिक होगी लेकिन उनके बीच की समानताएँ सबसे कम होंगी।
8.जीवो के जगत (Kingdoms of the living organisms)-
विभिन्न वैज्ञानिकों ने जीव जगत का वर्गीकरण भिन्न-भिन्न प्रकार से किया है । इन वर्गीकरणों की संक्षिप्त रूपरेखा निम्नलिखित हैं-
दो जगत वर्गीकरण ('Two kingdom classification)- कैरोलस
लीनियस ने जीव जगत को सिर्फ दो जगतों में विभाजित किया-जगत प्लांटी (Kingdom Plantae) तथा जगत एनीमेलिया (Kingdom Animalia)।
इस वर्गीकरण में प्रोकैरियोटिक जीवाणू तथा विषमपोषी अवशोषी फंजाई कोप्लांटी जगत में हरे पादपों के साथ वर्गीकृत किया गया था इसमें कुछ और कमियाँ भी थीं। वर्गीकरण तन्त्रों की इस प्रकार की कमियों को दूर करने के लिए अनेक वर्गीकरण प्रस्तुत किए गए। इन वर्गीकरणों का विवरण निम्नलिखित है-
9.तीन जगत वर्गीकरण (Three kingdom classification)-
अन्स्ट हैकल (Ernst Haeckel-1894) ने एक नये जगत प्रोटिस्टाका सृजन किया। इसमें ऐसे जीवों को रखा गया जिनमें ऊतक भिन्नन काअभाव था, प्रमुखतः एककोशिकीय जीव।
10.कोपलैंड (Copeland, 1956) ने प्रोकैरियोटिक जीवों के लिए एक नये जगत मोनेरा (Monera) की स्थापना की।
11.रॉबर्ट व्हिटेकर (Robert Whittaker, 1969) ने पाँच जगत
वर्गीकरण प्रस्तुत किया। इसी वर्गीकरण का वर्णन सर्वाधिक मान्य रहा। पुस्तक में जीवों का पाँच जगत वगीकरण प्रस्तुत किया गया है।
12.कार्ल वोस (Carl Woese, 1994) ने जीवों के वर्गीकरण हेतु जगत से भी बड़ी श्रेणी डोमेन (Domain) प्रतिपादित की। उन्होंने जीवों को कुल तीन डोमेनों में विभाजित किया- डोमेन-आर्किया, बैक्टीरिया तथा यूकैरिया। इस वर्गीकरण में जगतों की संख्या 6 हो गयी;B जैसे- आर्किया तथा बैक्टीरिया में एक-एक जगत तथा यूकैरिया में प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी व ऐनीमेलिया।
व्हिटेकर ने कोशिका जटिलता, जीव की जटिलता, पोषण विधि कोवर्गीकरण का प्रमुख आधार बनाया। व्हिटेकर द्वारा प्रस्तुत पाँच जगत वर्गीकरण की विशेषताएँ अग्रलिखित हैं-
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